
Mohammad Shami – मोहम्मद शमी का रोज़ा विवाद, जानिए पूरा मामला और प्रतिक्रियाएँ
Mohammad Shami – मोहम्मद शमी का रोज़ा विवाद, जानिए पूरा मामला और प्रतिक्रियाएँ
भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार क्रिकेट से जुड़ी वजह से नहीं, बल्कि रमज़ान के दौरान रोज़ा न रखने को लेकर। सोशल मीडिया पर कुछ कट्टरपंथियों ने शमी को रोज़ा न रखने पर आलोचना का निशाना बनाया। इस विवाद ने तब और तूल पकड़ लिया जब पाकिस्तान के पूर्व तेज़ गेंदबाज शोएब अख्तर और वकार यूनिस ने शमी के समर्थन में बयान दिया। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की सटीक जानकारी।
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मामले की शुरुआत कैसे हुई?
रमज़ान के पाक महीने में कई मुस्लिम खिलाड़ी रोज़ा रखते हैं, लेकिन कुछ खिलाड़ी, खासकर क्रिकेट जैसे व्यस्त खेल में सक्रिय रहने वाले, रोज़ा नहीं रखते। मोहम्मद शमी के बारे में सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैली कि वे रमज़ान के दौरान रोज़ा नहीं रख रहे हैं। इस बात को लेकर कुछ कट्टरपंथियों ने शमी को निशाना बनाना शुरू कर दिया और उनकी धार्मिक आस्थाओं पर सवाल उठाए।
हालांकि, शमी ने इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन उनके समर्थकों और क्रिकेट जगत की कई हस्तियों ने इस आलोचना को अनुचित बताया।
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शोएब अख्तर और वकार यूनिस ने किया समर्थन
पाकिस्तान के पूर्व तेज़ गेंदबाज शोएब अख्तर और वकार यूनिस ने इस विवाद पर अपनी राय रखते हुए शमी का समर्थन किया।
शोएब अख्तर ने कहा:
“खेल और धर्म को अलग रखना चाहिए। हर किसी को अपनी निजी आस्थाओं और जीवनशैली को चुनने का हक है। शमी एक बेहतरीन क्रिकेटर हैं और उन्होंने भारत के लिए बहुत कुछ किया है। रोज़ा रखना या न रखना पूरी तरह से उनकी व्यक्तिगत पसंद है।”
वकार यूनिस ने भी कहा:
“खिलाड़ी का धर्म उसके खेल से जुड़ा नहीं होना चाहिए। क्रिकेट में प्रदर्शन मायने रखता है, न कि कोई निजी धार्मिक परंपराएँ।”
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शमी के समर्थन में भारतीय क्रिकेटर्स भी आए आगे
मोहम्मद शमी के समर्थन में भारतीय क्रिकेट जगत से भी प्रतिक्रियाएँ आईं। कई खिलाड़ियों और खेल विशेषज्ञों ने कहा कि एक खिलाड़ी की व्यक्तिगत धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाना अनुचित है।
हरभजन सिंह: “मोहम्मद शमी भारतीय क्रिकेट का गर्व हैं। हमें खेल पर ध्यान देना चाहिए, न कि उनकी निजी ज़िंदगी पर।”
इरफ़ान पठान: “हर इंसान को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। किसी पर ज़बरदस्ती धार्मिक नियम लागू नहीं किए जा सकते।”
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सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?
सोशल मीडिया पर यह मुद्दा काफी गर्माया हुआ है। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #IStandWithShami ट्रेंड कर रहा है। शमी के फैन्स और कई मशहूर हस्तियाँ उनके समर्थन में पोस्ट कर रहे हैं।
कई लोगों ने यह भी कहा कि खेल और धर्म को अलग रखना चाहिए और खिलाड़ियों को उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर आँकना चाहिए, न कि उनकी धार्मिक मान्यताओं पर।
मोहम्मद शमी का रोज़ा विवाद बताता है कि सोशल मीडिया पर किसी भी मुद्दे को बेवजह तूल दिया जा सकता है। एक खिलाड़ी की निजी धार्मिक मान्यताओं को मुद्दा बनाना सही नहीं है। खेल में उनकी प्रतिभा और योगदान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि उनकी व्यक्तिगत आस्थाओं को।
आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें!
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