
माता ज्वालाजी की कथा मंत्र और इतिहास Jwala Ji Ki Katha Mantra Aur Itihas
माता ज्वालाजी की कथा, मंत्र और इतिहास | Jwala Ji Ki Katha, Mantra Aur Itihas
माता ज्वालाजी को शक्ति पीठों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है और यहाँ माता की ज्वाला स्वयं प्रकट होती है, जिसे भक्त देवी का दिव्य स्वरूप मानते हैं। इस लेख में हम माता ज्वालाजी की कथा, उनका इतिहास, महत्व, पूजन विधि, प्रमुख मंत्र और दर्शन का महत्व विस्तार से जानेंगे।
1. माता ज्वालाजी का इतिहास
माता ज्वालाजी का मंदिर हिंदू धर्म के 51 शक्ति पीठों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में विभाजित किया, तो उनका जीभ का भाग इसी स्थान पर गिरा था। यही कारण है कि यहाँ माता की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि अग्नि के रूप में ज्वालाएं प्रकट होती हैं, जो माता का प्रतीक मानी जाती हैं।
मुगल शासकों द्वारा इस मंदिर को नष्ट करने के कई प्रयास किए गए, लेकिन प्रत्येक बार देवी की ज्वाला पुनः प्रकट हो जाती थी। कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने इसे बुझाने के लिए पानी डलवाया, लेकिन जब वह असफल रहा, तो उसने माता के सम्मान में सोने की छत्री चढ़ाई, जो बाद में तांबे में बदल गई।
2. माता ज्वालाजी की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में पांडवों के पूर्वज राजा भूमि चंद ने इस स्थान पर माता की दिव्य शक्ति का अनुभव किया और यहाँ मंदिर की स्थापना की।
दूसरी कथा के अनुसार, एक बार हिमाचल प्रदेश के राजाओं को पता चला कि एक ग्वाले की गाय का दूध स्वतः ही एक स्थान पर गिर जाता है। जब उन्होंने वहाँ खुदाई करवाई, तो अचानक धरती से ज्वालाएं निकलने लगीं। इसके बाद राजा ने वहाँ मंदिर का निर्माण करवाया और माता की पूजा प्रारंभ हुई।
3. माता ज्वालाजी के नौ ज्योति स्वरूप
माता ज्वालाजी की नौ प्रमुख ज्योतियाँ हैं, जिन्हें अलग-अलग देवी का रूप माना जाता है:
- महाकाली
- अन्नपूर्णा
- चंडी
- हिंगलाज
- विंध्यवासिनी
- महालक्ष्मी
- सरस्वती
- अंबिका
- अन्नपूर्णा
4. माता ज्वालाजी के प्रमुख मंत्र
(1) माता ज्वालाजी का मूल मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ज्वालायै नमः
(2) ज्वालामुखी बीज मंत्र
ॐ ज्वालायै विद्महे, ज्वालामुखी धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्
(3) देवी कवच मंत्र
ॐ ज्वालामुख्यै च विद्महे, महाशक्त्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्
इन मंत्रों का जाप करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
5. माता ज्वालाजी की पूजा विधि
माता ज्वालाजी की पूजा विशेष रूप से नवरात्रों के दौरान की जाती है। यहाँ प्रतिदिन विशेष आरती होती है, जिसमें भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
पूजा करने की विधि:
- प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- माता के समक्ष घी और कपूर से दीप जलाएं।
- माता को लाल पुष्प और नारियल अर्पित करें।
- ज्वालाजी के मंत्रों का जाप करें।
- माता को मीठा भोग चढ़ाएं और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
- आरती कर प्रसाद वितरित करें।
6. माता ज्वालाजी के दर्शन का महत्व
माना जाता है कि जो भक्त माता के दर्शन कर सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। खासकर नवरात्रों में यहाँ दर्शन करने का विशेष महत्व है।
माता ज्वालाजी के दर्शन से होने वाले लाभ:
- सभी प्रकार के भय और कष्ट दूर होते हैं।
- आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।
- संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।
- विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
- शत्रुओं से मुक्ति और न्याय प्राप्त होता है।
7. माता ज्वालाजी मंदिर की विशेषताएँ
- जलती हुई ज्वाला: यह मंदिर अपनी स्वयं प्रकट हुई ज्वालाओं के लिए प्रसिद्ध है। ये ज्वालाएँ बिना किसी ईंधन के अनवरत जल रही हैं।
- स्वर्ण छत्र: यह छत्र अकबर द्वारा भेंट किया गया था, जो बाद में तांबे में परिवर्तित हो गया।
- अखंड ज्योति: यहाँ माता की अखंड ज्योति जलती रहती है, जिसे कभी बुझाया नहीं जाता।
8. माता ज्वालाजी मंदिर कैसे पहुँचे?
निकटतम रेलवे स्टेशन:
- पठानकोट रेलवे स्टेशन (लगभग 50 किमी दूर)
निकटतम हवाई अड्डा:
- गग्गल हवाई अड्डा (कांगड़ा)
सड़क मार्ग:
- दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
9. माता ज्वालाजी के प्रमुख उत्सव
- नवरात्रि (मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर)
- दीपावली
- श्रावण मास का विशेष पूजन
10. माता ज्वालाजी की महिमा
माता ज्वालाजी के भक्तों की यह मान्यता है कि देवी के दर्शन से समस्त पापों का नाश होता है। इस शक्ति पीठ की महिमा अपरंपार है और यह स्थान भक्तों को अद्भुत ऊर्जा प्रदान करता है।
माता ज्वालाजी का मंदिर एक दिव्य और शक्तिशाली स्थल है, जहाँ देवी की अखंड ज्वाला भक्तों को उनके साक्षात दर्शन देती है। यह स्थान अध्यात्म, श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है। माता के दर्शन मात्र से ही जीवन की समस्त कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भक्तों को चाहिए कि वे श्रद्धा और आस्था के साथ माता की उपासना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
“जय माता दी!”
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