
Mata Chintpurni Ki Katha, Mantra aur Mahima – माता चिंतपूर्णी मंदिर की पावन कथा और मंत्र साधना से पाएं हर चिंता से मुक्ति
Mata Chintpurni Ki Katha, Mantra aur Mahima – माता चिंतपूर्णी मंदिर की पावन कथा और मंत्र साधना से पाएं हर चिंता से मुक्ति
भारत की पावन भूमि में अनेक सिद्ध शक्ति पीठ स्थित हैं, जिनमें माता चिंतपूर्णी का मंदिर विशेष महत्व रखता है। माता चिंतपूर्णी को ‘चिंता हरणी’ और ‘माता श्री चिन्नमस्तिका’ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि माता चिंतपूर्णी के दर्शन और उनकी साधना से सभी प्रकार की चिंताओं, कष्टों और दुखों से मुक्ति मिलती है।
यह लेख माता चिंतपूर्णी की पौराणिक कथा, मंत्र, पूजा विधि और दर्शन करने के महत्व को विस्तार से वर्णन करेगा।
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माता चिंतपूर्णी का परिचय
माता चिंतपूर्णी मंदिर हिमाचल प्रदेश के उना जिले में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। कहा जाता है कि जहां-जहां माता सती के अंग गिरे, वहां शक्ति पीठ बने।
यहां माता सती का शीश (सिर) गिरा था, इसलिए माता को चिंतपूर्णी देवी के रूप में पूजा जाता है। भक्त यहां अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए माता से प्रार्थना करते हैं और माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
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माता चिंतपूर्णी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया। जहां-जहां माता के अंग गिरे, वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई।
कहा जाता है कि चिंतपूर्णी में माता सती का शीश (सिर) गिरा था। तभी से यह स्थान भक्तों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन गया।
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माता चिंतपूर्णी के नाम और स्वरूप
माता श्री चिंतपूर्णी
माता चिन्नमस्तिका
चिंता हरणी माता
माता का स्वरूप एक तीन नेत्रों वाली देवी के रूप में है, जिनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में सिर है। माता का यह स्वरूप बताता है कि वह अपने भक्तों की सभी चिंताओं को हर लेती हैं।
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माता चिंतपूर्णी मंत्र और स्तुति
मंत्र
|| ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ||
इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की चिंताओं और दुखों से मुक्ति मिलती है।
चिंताहरण मंत्र
|| ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं चिंताहरणे नमः ||
मंत्र जाप विधि:
प्रातःकाल स्नान करके माता की तस्वीर के सामने दीप जलाएं।
लाल फूल और चंदन अर्पित करें।
उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप करें।
अंत में माता से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
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माता चिंतपूर्णी की पूजा विधि
1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. माता की तस्वीर या मूर्ति को लाल कपड़े पर स्थापित करें।
3. दीप जलाकर, धूप और अगरबत्ती लगाएं।
4. माता को लाल फूल, नारियल और मिठाई का भोग लगाएं।
5. श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ का एक अध्याय पढ़ें।
6. “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।
7. माता से अपनी चिंताओं को दूर करने की प्रार्थना करें।
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चिंतपूर्णी मंदिर का महत्व
यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि के समय मंदिर में भारी भीड़ होती है।
यहां विशेष रूप से चिंताहरण चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
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मंदिर यात्रा की जानकारी
स्थान: उना जिला, हिमाचल प्रदेश
निकटतम रेलवे स्टेशन: ऊना रेलवे स्टेशन
सर्वश्रेष्ठ समय: नवरात्रि और सावन मास
कैसे पहुंचे:
हवाई मार्ग: चंडीगढ़ एयरपोर्ट से 150 किमी
रेल मार्ग: ऊना रेलवे स्टेशन से 20 किमी
सड़क मार्ग: दिल्ली से सीधा बस सेवा उपलब्ध
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माता चिंतपूर्णी के चमत्कार
1. भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
2. असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
3. मानसिक चिंता और तनाव दूर होता है।
4. दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
5. आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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माता चिंतपूर्णी आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
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माता चिंतपूर्णी के विशेष व्रत और त्योहार
नवरात्रि
चैत्र नवरात्रि
सावन मास
पूर्णिमा व्रत
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माता चिंतपूर्णी देवी की आराधना से सभी प्रकार की चिंताओं और दुखों से मुक्ति मिलती है। माता का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा करना आवश्यक है। जो भी भक्त सच्चे मन से माता चिंतपूर्णी के दरबार में जाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अगर आप भी अपने जीवन की चिंताओं से मुक्त होना चाहते हैं, तो एक बार माता चिंतपूर्णी के पावन धाम के दर्शन जरूर करें।
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FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: माता चिंतपूर्णी मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर: माता चिंतपूर्णी मंदिर हिमाचल प्रदेश के उना जिले में स्थित है।
Q2: माता चिंतपूर्णी की पूजा कैसे करें?
उत्तर: माता चिंतपूर्णी की पूजा में लाल फूल, नारियल, दीपक और मंत्र जाप का विशेष महत्व है।
Q3: माता चिंतपूर्णी का कौन सा मंत्र सबसे शक्तिशाली है?
उत्तर: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र सबसे शक्तिशाली है।
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