
Holi 2025 – शुभ पूजा मुहूर्त और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
Holi 2025 – शुभ पूजा मुहूर्त और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
होली भारत के सबसे प्रमुख और हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह त्योहार रंगों, प्रेम, भाईचारे और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। होली मुख्य रूप से दो दिनों तक मनाई जाती है—पहले दिन ‘होलिका दहन’ और दूसरे दिन ‘रंगवाली होली’ खेली जाती है।
होली 2025 का शुभ मुहूर्त
वर्ष 2025 में होली का त्योहार 13 और 14 मार्च को मनाया जाएगा।
होलिका दहन तिथि: 13 मार्च 2025 (गुरुवार)
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: संध्या 06:30 बजे से रात्रि 08:56 बजे तक (मुहूर्त स्थान और पंचांग के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है)
रंगवाली होली (धुलंडी) की तिथि: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)
होलिका दहन का मुहूर्त बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन शुभ समय में पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
होली का महत्व और पौराणिक कथा
होलिका दहन की कथा
होली का त्योहार मुख्य रूप से भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, असुरराज हिरण्यकशिपु को भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि वह न दिन में मरेगा, न रात में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न किसी मनुष्य द्वारा, न ही किसी जानवर द्वारा। इस अहंकार के कारण उसने खुद को भगवान मान लिया और अपने राज्य में विष्णु भक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया।
हालांकि, उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। हिरण्यकशिपु ने कई बार प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया, लेकिन वह हर बार बच गया। अंततः, हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का आदेश दिया। होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि में जलने से कोई नुकसान नहीं होगा। उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने की योजना बनाई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बच गया।
इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है, और तभी से होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।
रंगवाली होली की कथा
रंगों की होली का संबंध भगवान कृष्ण और राधा से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण अपने गहरे रंग को लेकर चिंतित रहते थे और राधा के गोरे रंग को देखकर उनसे प्यार करने में संकोच करते थे। उनकी माता यशोदा ने उन्हें राधा और गोपियों पर रंग लगाने की सलाह दी। कृष्ण ने राधा के साथ रंग खेला, जिससे होली का यह रंगीन उत्सव प्रारंभ हुआ।
होली के अनुष्ठान और परंपराएँ
1. होलिका दहन (चिता जलाने की परंपरा)
होलिका दहन के लिए लकड़ियाँ, उपले और अन्य पूजा सामग्री इकट्ठा की जाती है। शुभ मुहूर्त में इस चिता को जलाकर उसमें नारियल, गेहूं की बालियां, गन्ने और अन्य चीजें अर्पित की जाती हैं। यह आग बुराई के नाश और जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रतीक मानी जाती है।
2. रंगवाली होली (धुलंडी)
दूसरे दिन रंगों और पानी से होली खेली जाती है। लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। ढोल-नगाड़ों के साथ नाच-गाना होता है। इस दिन विशेष रूप से गुजिया, ठंडाई, पापड़, दही भल्ले और अन्य पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।
3. मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर उत्सव
मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, काशी, और पुष्कर जैसे स्थानों पर होली का विशेष महत्व होता है। यहाँ लट्ठमार होली, फूलों की होली और धूलि वंदन जैसी परंपराएँ निभाई जाती हैं।
होली से जुड़े रोचक तथ्य
1. होली का सबसे पहला उल्लेख
होली का वर्णन सबसे पहले 7वीं शताब्दी की संस्कृत पांडुलिपियों में किया गया है।
2. बरसाना की लट्ठमार होली
बरसाना में महिलाएँ पुरुषों को लाठी से मारती हैं, और पुरुष उन्हें ढाल से बचाने का प्रयास करते हैं। यह परंपरा राधा-कृष्ण की होली से जुड़ी है।
3. होली और राजनीति
अतीत में होली का उपयोग सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर करने के लिए भी किया जाता था।
4. होली का वैज्ञानिक महत्व
होलिका दहन से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु नष्ट होते हैं, जिससे स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।
5. भारत के बाहर होली
नेपाल, बांग्लादेश, मॉरीशस, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में भी होली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
होली 2025 को खास बनाने के लिए टिप्स
1. प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें
रासायनिक रंगों के बजाय हर्बल या फूलों से बने रंगों का उपयोग करें।
2. जल बचाने का प्रयास करें
पानी के बजाय गुलाल से होली खेलें ताकि जल संरक्षण किया जा सके।
3. पर्यावरण के अनुकूल होलिका दहन करें
अत्यधिक लकड़ी जलाने के बजाय सूखे पत्ते और गोबर के उपलों का प्रयोग करें।
4. समाज में सद्भाव बढ़ाएँ
होली प्रेम और भाईचारे का त्योहार है, इसलिए इसे सभी के साथ मिल-जुलकर मनाएँ।
5. सुरक्षित होली खेलें
चेहरे और आँखों की सुरक्षा के लिए चश्मा और मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें।
होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा पर्व है जो लोगों के जीवन में खुशियाँ, प्रेम और सामाजिक एकता का संदेश देता है। 2025 में होली को और भी खास बनाने के लिए पारंपरिक रीति-रिवाजों को अपनाएँ, पर्यावरण का ध्यान रखें और सभी के साथ मिलकर इस उत्सव का आनंद लें।
आप सभी को होली 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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