
Ekadashi Special – एकादशी व्रत 2025 तिथि, पारण समय और पूजा विधि
एकादशी व्रत 2025 तिथि, पारण समय और पूजा विधि
एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक मानी जाती है। यह एकादशी माघ मास के शुक्ल पक्ष में आती है और भगवान विष्णु को समर्पित होती है। यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। इस लेख में हम जया एकादशी 2025 की तिथि, पारण समय, पूजा विधि और इसके महत्व की संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
एकादशी 2025 की तिथि और समय
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 फरवरी 2025 को रात्रि 10:08 बजे से
- एकादशी तिथि समाप्त: 10 फरवरी 2025 को रात 08:22 बजे तक
- पारण समय: 11 फरवरी 2025 को प्रातः 07:00 से 09:20 बजे के बीच
- Tithi (Date): 24 फरवरी 2025 (सोमवार) Paksha (Fortnight): कृष्ण एकादशी
Ekadashi Begins: 23 फरवरी 2025, 1:55 PM (हिन्दी समय)
Ekadashi Ends: 24 फरवरी 2025, 1:44 PM (हिन्दी समय)
(पारण समय स्थानानुसार बदल सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग अवश्य देखें।)
एकादशी व्रत का महत्व
- यह एकादशी व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है।
- मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को भूत-प्रेत बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
- जो भक्त इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करते हैं, उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
- विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
एकादशी व्रत पूजा विधि
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल जल्दी उठकर गंगा जल मिलाकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु का धूप, दीप, पुष्प और तुलसी दल से पूजन करें।
- व्रत और भजन-कीर्तन: दिनभर फलाहार करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- भगवद गीता का पाठ: इस दिन श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करना शुभ माना जाता है।
- रात्रि जागरण: रात को भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और सत्संग में भाग लें।
- पारण: द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद पारण करें।
व्रत कथा (संक्षिप्त)
पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्गलोक में एक माल्यवान नामक गंधर्व अपनी पत्नी पुष्पवती के साथ रहता था। एक बार, इंद्रसभा में गाने के दौरान उसने अपनी पत्नी का स्मरण किया, जिससे इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्हें पृथ्वी पर राक्षस योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया।
जब माल्यवान और पुष्पवती धरती पर आए, तो वे दुखी और कष्टमय जीवन जीने लगे। संयोगवश, माघ शुक्ल एकादशी के दिन उन्होंने अन्न-जल का त्याग किया और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो गए। उनके इस पुण्यकर्म से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्हें श्राप से मुक्ति मिली। इस प्रकार, जया एकादशी व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
एकादशी पर क्या करें और क्या न करें?
क्या करें?
✔ भगवान विष्णु की आराधना करें।
✔ दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
✔ सात्विक आहार ग्रहण करें और व्रत कथा सुनें। ✔ तुलसी के पत्तों का सेवन करें।
क्या न करें?
❌ तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा) का सेवन न करें।
❌ क्रोध, झूठ और बुरे विचारों से बचें।
❌ ब्रह्मचर्य का पालन करें और गलत कार्यों से दूर रहें। ❌ झूठ, चोरी और छल-कपट से बचें।
निष्कर्ष
एकादशी 2025 एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायी व्रत है। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि आप सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं, तो इस एकादशी व्रत को विधिपूर्वक करें।
आप सभी को एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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