Himachal Pradesh – हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड पर नई एडवाइजरी, जानिए क्या है पूरी जानकारी
हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक अहम कदम उठाते हुए राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड को लेकर एक नई एडवाइजरी जारी की है। यह एडवाइजरी शिक्षकों की गरिमा, अनुशासन और पेशेवर छवि को ध्यान में रखते हुए जारी की गई है। हालांकि, इसे लागू करना स्कूल प्रबंधन की स्वेच्छा पर निर्भर होगा। आइए जानते हैं इस एडवाइजरी में क्या कहा गया है और इसका शिक्षकों व विद्यालयों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
क्या है यह एडवाइजरी:
दिनांक 17 अप्रैल 2025 को हिमाचल प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा “ड्रेस कोड” को लेकर एक औपचारिक पत्र जारी किया गया। इस पत्र में राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक अनुशंसित ड्रेस कोड की जानकारी दी गई है।
इस एडवाइजरी को सरकार की ओर से शिक्षा सचिव (संयुक्त) सुनील वर्मा ने हस्ताक्षरित किया है और यह शिक्षा निदेशक, हिमाचल प्रदेश को संबोधित है। साथ ही सभी उच्च शिक्षा और प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशकों को भी इसे संप्रेषित करने के निर्देश दिए गए हैं।

ड्रेस कोड को लेकर मुख्य बिंदु:
1. अनुशंसा मात्र है, अनिवार्य नहीं:
इस ड्रेस कोड को अपनाना किसी भी स्कूल के लिए अनिवार्य नहीं है। यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है और स्कूल प्रशासन की इच्छा पर निर्भर करता है।
2. स्कूल की गरिमा और अनुशासन पर ज़ोर:
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह एडवाइजरी शिक्षकों की पेशेवर छवि और स्कूल वातावरण को और अधिक अनुशासित और मर्यादित बनाने के उद्देश्य से जारी की गई है।
3. शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच समानता का संदेश:
ड्रेस कोड अपनाने से शिक्षक विद्यार्थियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, जिससे स्कूल में अनुशासन और मर्यादा की भावना और प्रबल होगी।
4. कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं:
यदि कोई स्कूल या शिक्षक इस ड्रेस कोड को नहीं अपनाता, तो भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह केवल एक सलाह है, न कि बाध्यता।
क्या हो सकता है संभावित ड्रेस कोड?
हालांकि इस पत्र में स्पष्ट रूप से ड्रेस कोड के कपड़ों का विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि पुरुष शिक्षकों के लिए फॉर्मल शर्ट-पैंट और महिला शिक्षकों के लिए साड़ी या सूट जैसे पारंपरिक परिधान सुझाए गए होंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक अपने कार्यस्थल पर एक सुसंस्कृत और मर्यादित छवि प्रस्तुत करें।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया:
इस एडवाइजरी पर राज्य के विभिन्न शिक्षकों की राय अलग-अलग देखने को मिल रही है।
कुछ शिक्षक इसे सकारात्मक कदम मानते हैं, उनका मानना है कि यह स्कूल के वातावरण को और अनुशासित बनाने में मदद करेगा।
वहीं कुछ शिक्षकों का तर्क है कि उन्हें अपने पहनावे की आज़ादी होनी चाहिए, जब तक वे मर्यादा में रहते हैं।
स्कूल प्रबंधन की भूमिका:
सरकार ने यह फैसला स्कूल प्रबंधन पर छोड़ दिया है कि वे इस एडवाइजरी को लागू करना चाहते हैं या नहीं। यानी कोई भी विद्यालय अपने स्तर पर स्टाफ मीटिंग कर निर्णय ले सकता है कि ड्रेस कोड को अपनाना है या नहीं। यह लचीलापन इस एडवाइजरी को विवाद से बचाता है और स्कूलों को स्वतंत्रता भी देता है।
क्या कहता है शिक्षा विभाग का नजरिया:
शिक्षा विभाग का मानना है कि एक समान ड्रेस कोड से शिक्षकों की एकता और पेशेवरता में वृद्धि होगी। साथ ही इससे छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे अपने शिक्षकों की तरह अनुशासित और मर्यादित रहें।
पूर्व में भी उठी है ड्रेस कोड की मांग:
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य के कुछ हिस्सों में शिक्षकों के ड्रेस कोड को लेकर चर्चा होती रही है। कई शिक्षकों ने स्वयं यह सुझाव दिया था कि विद्यालयों में एकरूपता और अनुशासन बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड लागू किया जाना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों के लिए जारी की गई यह ड्रेस कोड एडवाइजरी एक स्वागतयोग्य कदम है, जो विद्यालयों में अनुशासन, गरिमा और पेशेवरता को बढ़ावा देने की दिशा में प्रेरित करता है। हालांकि इसकी अनिवार्यता नहीं है, लेकिन यदि स्कूल प्रबंधन इसे अपनाते हैं, तो इससे सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।