
अक्षय तृतीया 2025 – सुख, समृद्धि और शुभ आरंभ का पर्व
अक्षय तृतीया, जिसे ‘अक्ती’ या ‘अक्षय तीज’ भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ‘अक्षय’ का अर्थ है – ‘जिसका कभी क्षय न हो’ यानी जो सदा बना रहे। यह पर्व समृद्धि, शुभारंभ और सत्कर्मों के लिए जाना जाता है। 2025 में अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी।
पौराणिक महत्व:अक्षय तृतीया का वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इस दिन त्रेतायुग का आरंभ हुआ था और भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था। इसे ‘परशुराम जयंती’ के रूप में भी मनाया जाता है। पांडवों को वनवास के समय अक्षय पात्र की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी, जिससे वे कभी भूखे नहीं रहे। साथ ही महाभारत के लेखक वेदव्यास और भगवान गणेश ने इसी दिन ग्रंथ की रचना प्रारंभ की थी।
जैन धर्म में महत्व:जैन धर्म के अनुसार, भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष की कठिन तपस्या के पश्चात इसी दिन आहार ग्रहण किया था। इसलिए यह दिन तप, संयम और दान का प्रतीक है।
धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ:अक्षय तृतीया को किसी भी शुभ कार्य के लिए ‘अबूझ मुहूर्त’ माना जाता है। इस दिन विवाह, गृहप्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत, संपत्ति खरीदने, सोना खरीदने, व्रत व दान आदि के लिए विशेष शुभ फल मिलता है।
1. सोना खरीदना:यह मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर खरीदा गया सोना कभी भी दुर्भाग्य नहीं लाता बल्कि समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक बनता है। इस दिन ज्वेलरी शॉप्स में विशेष ऑफर्स भी देखने को मिलते हैं।
2. दान का महत्व:दान को इस दिन अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। अन्न, वस्त्र, जलपात्र, छाता, चप्पल, गौदान, अन्नदान, जलसेवा जैसे कार्य अक्षय फल प्रदान करते हैं।
3. व्रत एवं पूजा:लोग इस दिन व्रत रखते हैं, भगवान विष्णु, लक्ष्मी, कुबेर और परशुराम जी की पूजा करते हैं। गंगास्नान और पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। घरों में हवन और कीर्तन का समारोह किया जाता है।
4. नवीन आरंभ:यह दिन नए कार्यों की शुरुआत जैसे व्यापार, शिक्षा, निवेश, गृह निर्माण आदि के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन किया गया कोई भी कार्य अक्षय फल देने वाला माना गया है।
2025 में अक्षय तृतीया तिथि और शुभ मुहूर्त:
दिनांक प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025 को रात 11:20 PM बजे से
दिनांक समाप्त: 30 अप्रैल 2025 रात्रि 01:45AM बजे तकशुभ मुहूर्त (पूजा के लिए): 30 अप्रैल को प्रातः 05:45 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक
अक्षय तृतीया की आधुनिक महत्ता:आज के युग में अक्षय तृतीया न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बन गया है। बड़े-बड़े ब्रांड्स, ज्वेलर्स और रियल एस्टेट कंपनियाँ इस दिन को भुनाने के लिए प्रचार-प्रसार करती हैं। इसके बावजूद भी यह पर्व मूलतः सत्कर्म, सेवा और धर्म का ही प्रतीक बना हुआ है।
क्या करें, क्या न करें:
इस दिन किसी प्रकार की हिंसा, कटु वचन, अपशब्दों से बचें।शराब, मांस, तामसिक भोजन से परहेज करें।
यथासंभव जल, अन्न और वस्त्र का दान करें।
घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और गरीबों की मदद करें।
नई चीज़ें खरीदने से पहले भगवान को अर्पित करें।
अक्षय तृतीया केवल सोना खरीदने का ही नहीं बल्कि आत्मिक और सामाजिक रूप से खुद को समृद्ध करने का पर्व है। यह दिन हमें सत्कर्म, सेवा, दान और धर्म की प्रेरणा देता है। अगर हम इस दिन को श्रद्धा और संयम के साथ मनाएं तो हमारे जीवन में भी अक्षय फल की प्राप्ति अवश्य होती है।
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