
Aarti – रोजमर्रा जिंदगी में आरती तो रोज करते हैं, लेकिन आप इसका सही मतलब जानते हैं
आरती एक धार्मिक अनुष्ठान है जो हिंदू पूजा में विशेष स्थान रखता है। यह भगवान की स्तुति और उनकी कृपा के लिए धन्यवाद देने का एक माध्यम है। आरती प्रार्थनाका एक गीतात्मक रूप होता है, जिसे दीपक जलाकर गाया जाता है।
आरती का उद्देश्य और महत्व
भगवान की स्तुति और आभार व्यक्त करना।
पूजा को पूर्ण करने का अंतिम चरण।
नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करना।
आरती कैसे की जाती है?
1. दीपक और धूप जलाना: दीपक में घी या तेल भरकर जलाया जाता है। दीपक को घुमाकर भगवान के सामने आरती गाई जाती है।
2. घंटी बजाना: आरती के दौरान घंटी बजाई जाती है।
3. भक्ति गीत गाना: आरती एक विशेष भक्ति गीत होता है, जैसे— ओम जय जगदीश हरे (विष्णु जी की आरती), शिव आरती – जय शिव ओंकारा
आरती के अंत में आरती समाप्त होने के बाद दीपक की लौ को दोनों हाथों से छूकर माथे पर लगाया जाता है, जिसे शुभ माना जाता है। भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं।
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